उद्योगों के जल फोरम का जबरदस्त विरोध

उद्योगों के जल फोरम का जबरदस्त विरोध

संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध कि पानी के निजीकरण करने वालों को संगरक्षण देना बंद करे

पांचवां विश्व वाटर फॉरम या अंतर्राष्ट्रीय पानी अधिवेशन जो तुर्की में १६-२२ मार्च २००९ तक आयोजित किया जा रहा है, उसके विरोध में हजारों सामाजिक कार्यकर्ता इस अधिवेशन के अस्तित्व पर ही सवाल उठा रहे हैं.

३३ देशों से ११८ संगठनों ने एक पत्र संयुक्त राष्ट्र के महा-सचिव बन-की मून को प्रेषित किया है जिसमें उनसे आग्रह है कि सी.ई.ओ वाटर मैनडेट से संयुक्त राष्ट्र अपना समर्थन वापस ले.

सी.ई.ओ वाटर मैनडेट, उद्योगों द्वारा संचालित कार्यक्रम है, जो संयुक्त राष्ट्र के ग्लोबल कंपाक्ट के मंच से कार्यशील हो रहा है. जन-संगठनों का मानना है कि सी.ई.ओ वाटर मैनडेट और इसको संचालित करने वाले उद्योग ही पानी के निजीकरण के लिए जिम्मेदार हैं, और यदि पानी के निजीकरण को रोकने के लिए कोई भी प्रभावकारी कार्यक्रम हो सकता है, तो वोह इन उद्योगों द्वारा नियंत्रित नहीं होना चाहिए.

जो लोग सही मायनों में पानी के अधिकार से वंचित हैं, उनकी ही इस फोरम में आवाज़ नहीं है. यही वोह लोग हैं जिनकी आवाज़ इस फोरम के केन्द्र में होनी चाहिए, और न कि उन उद्योगों की आवाज़ जो पानी के निजीकरण के लिए जिम्मेदार हैं.

इसीलिए इस विश्व पानी अधिवेशन के बाहर ही जन-संगठनों ने लोगों-का-पानी-अधिवेशन आयोजित किया हुआ है - जो सरकारी फोरम के साथ-साथ ही लोगों की जिंदगियों को प्रभावित करने वाले पानी से जुड़े हुए मुद्दों को उजागर करता है.

यही बहुत संगीन बात है कि पानी का अनियंत्रित दोहन करने वाले उद्योगों ने ही इस अंतर्राष्ट्रीय जल अधिवेशन को अपने काबू में किया हुआ है और पानी के अधिकार से वंचित लोगों की प्रतिभागिता शुन्य की हुई है।